मगध के भावी शासक चक्रवृति सम्राट अशोक का इतिहास..?

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सम्राट अशोक की सामान्य जानकारी :

शासक - चक्रवृति सम्राट अशोक
जन्म - 304 ई. पू. मगध(पाटलीपुत्र)
पिता - बिन्दूसार
माता - महारानी शुभद्रांगी
पत्नियाँँ - महादेवी, कौरूवाकी, तिष्यशिता, पदमावति, असंघमित्रा।
शासनकाल - 269 से 232 ई. पू. तक
विवाह - 286 ई. पू. 
मृत्यु - 232 ई.पू. पाटलीपुत्र
भाई - शुसीम और तिष्य
पुत्र - महेन्द्र 
पुत्री - संघमित्रा 
प्रेमिका - कौरूवाकी
उत्तराधिकारी - राजतरंगनी में "जालौक" और तिब्बती ग्रंथ में "कुस्तन" को बताया गया है।
प्रारम्भिक धर्म - शैव धर्म 
कन्वर्टेड धर्म - बौद्ध धर्म
बौद्ध गुरू - उपगुप्त 
बौद्ध धर्म के पथ निर्देशक - निग्रोथ (भतीजा)
राजधानी - पाटलीपुत्र

प्रारम्‍भिक संघर्ष और विद्रोह :

प्राचीन भारत के सबसे शक्‍तिशाली साम्राज्‍य मगध की नीव चन्‍द्रगुप्‍त मौर्य ने रखी थी। जिसके बाद उनके पाते चक्रवृति सम्राट अशोक ने मगध साम्राज्‍य को अपनी वीरता और बुद्धिमत्‍ता के दम पर एक नई ऊँचाईयों तक पहुँचाया। 

अशोक का पूरा नाम सम्राट अशोक देवनाम प्रियदर्शी था जो मौर्य वंश के तृतीय शासक थे। जिनका नाम इतिहास में सबसे शक्‍तिशाली और महान सम्राट के रूप में उल्‍लेखित है।

सम्राट अशोक के बारे में कहा जाता है कि उन्‍होंने केवल एक छड़ी के जरिए ही शेर को मार दिया था, उनकी इसी बहादुरी को देखकर उनके पिता ने उन्‍हें साही प्रशिक्षण दिलवाया। जिसमें उन्‍हें अस्‍त्र और शस्‍त्र दोनों की ही विद्या का ज्ञान कराया गया। 

अशोक की शिक्षा समाप्‍त होने के बाद उनके पिता ने अवन्‍ती और उसके बाद कश्‍मीर में हो रहे विद्रोहों को दबाने के लिए भेजा जिसे अशोक ने बड़ी क्रूरूरता से कुछ ही दिनों में दबा दिया था।

जिसके बाद उनके पिता ने उन्‍हें उज्जैनी का गवर्नर नियुक्‍त कर दिया था। उसके कुछ दिनों बाद बिम्‍बिसार ने उन्‍हें अपना उत्‍त्‍राधिकारी घोषित कर दिया था, जिसे सभी दरबारियों ने स्‍वीकार कर लिया था, लेकिन अशोक के भाईयों ने विद्रोह कर दिया, जिसमें अशोक की माता की हत्‍या हो जाती है।

जिसके बाद अशोक ने अपने 99 भाईयों को मार कर एक कुँए में फिकवा दिया, जिसके बाद उन्‍हें "चन्‍डाशोक" के नाम से भी जाना जाता था। इस विद्रोह को दबाने में अशोक को 4 वर्ष का समय लगा था।

Samrat Ashok
Samrat Ashok


अशोक का राज्‍याभिषेक :

269 ई. पू. अशोक का राज्‍याभिषेक होने के पश्‍चात् उन्‍होंने अपनी आर्थिक स्‍थिति को मजबूत करने के लिए कलिंक के शासक नन्‍दराज जो नंद वंश के शासक थे, उन्‍हें पत्र लिखा और कहा कि या तो आप हमारी अधीनता स्‍वीकार करों या हमशे युद्ध करो, जिसके जवाब में वहाँ के राजा नन्‍दराज ने युद्ध करने का निर्णय किया।

अशोक की कलिंग विजयी :

सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध अपने राज्‍याभिषेक के 8 वें वर्ष सन् 261 ई. पू. में लड़ा था। इस युद्ध में इतनी बर्बादी और नरसंघार हुआ था कि जिसे देखकर अशोक ने युद्ध के मैदान में ही अपने हथियार छोड़ दिए और सोचा कि क्‍या मिला हमको हमारी सीमाएँ और थोड़ी बढ़ गई और कुछ धन मिल गया।

पर हम तो मानवता के नाम पर कंलकिंत हो गए, क्‍योंकि इस युद्ध में बच्‍चे, बूढ़े और यहाँ तक की वहाँ की महिलाओं और जानवरों को भी बूरी तरह से काट दिया गया था।

चारों तरफ लासें ही दिख रही थी, जिसे देखकर अशोक का मन विचलित हो गया और उन्‍होंने कभी युद्ध न लड़ने का प्रण कर लिया। 

बौद्ध धर्म की राह पर चलनेे की प्रेरणा :

अशोक ने कलिंग युद्ध के बौद्ध धर्म को अपनाने का मन बना लिया और वे अपने भतिजे "निग्रोथ" के पास गए जो हमेशा शांत रहते थे, जिन्‍हें किसी से कोई लेना देना नहीं था। 

वह अपनी धुन में ही मस्त मगन और खुश रहता था, जिससे अशोक बड़ा प्रभावित होता है और उससे जाकर पूछता है कि तुम इतने खुश कैसे रहते हो। तब निग्रोथ ने बताया कि मैं बौद्ध धर्म का अनुयायी हूँ और उनके बताए हुए अष्‍टांगिक मार्ग पर चलता हूँ।

इस से बात अशोक बहुत प्रभावित हुआ और उसने बौद्ध धर्म को अपनाने का मन बना लिया, जिसके बाद वह अपने भतीजे निग्रोथ से प्रेरणा लेता है बौद्ध धर्म को स्वीकार करने की, लेकिन बौद्ध धर्म की शिक्षा अशोक ने बौद्ध गुरू "उपगुप्‍त" से प्राप्‍त की। 

अब अशोक ने तो बौद्ध धर्म अपना लिया था, लेकिन अशोक सभी धर्मों को मानने वाला सहिष्‍णु था। इसलिए उसने कहा कि जनता स्‍वतंत्र है अपनी इच्‍छा से किसी भी धर्म का पालन कर सकती है। बशर्ते वह अहिंसा के रास्‍ते पर चले।

बौद्ध धर्म का प्रचार:

जिसके बाद अशोक ने अपने पुत्र महेन्‍द्र और पुत्री संगमित्रा को श्रीलंका भेजा, जहाँ पर बौद्ध धर्म से प्रभावित होकर श्रीलंका में सिघंली वंश के शासकों ने बौद्ध धर्म को अपना लिया। इस प्रकार अशोक ने कई देशों में बौद्ध धर्म का प्रचार किया और बौद्ध धर्म को दूर-दूर तक फैलाया।

अशोक ने जब बौद्ध धर्म अपनाया था, तब उन्‍होंने यह प्रण लिया था कि वह कभी भी हथियार नहीं उठायेगा, लेकिन लोगों के मन में अशोक का डर इतना ज्‍यादा बैठा हुआ था कि जब तक अशोक जिंदा रहा, तब तक किसी शासक या बाहरी आक्रमणकारी का शाहस नहीं हुआ कि वह मगध पर आक्रमण कर सकें।

अशोक के सबसे महत्‍वपूर्ण बिन्‍दू - 

1. कलिंग युद्ध की विस्‍तृत जानकारी "हाथी गुफा अभिलेख" से मिलती है। जिसे ओड़िसा के राजा खारबेल ने लिखवाया था।

2. अशोक के अभिलेख पढ़ने की सफलता सर्वप्रथम "जेम्‍स प्रिंसेस" को मिली थी।

3. अशोक ने बौद्ध धर्म की "धम्‍म नीति" को आगे बढ़ाया था जिसका अर्थ होता है "धर्म की नीति पर चलना।"

4. अशोक की ज्‍यादातर जानकारियाँ शिलालेखों से प्राप्‍त होती है।

5. अशोक ने अपने शासनकाल में यात्रा पर लगने वाले धार्मिक कर को समाप्‍त कर दिया था।

6. अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए अपनी राजधानी पाटलिपुत्र में तीसरी बौद्ध संगति का आयोजन 250-51 ई. पू. करवाया था। जहाँ की अध्‍यक्षता "मोगालिपुत्र तिस्‍स" ने की थी। 

इससे पहले अजातशत्रु और कालाशोक ने पहली और दूसरी बौद्ध संगति 483 ई.पू. और 383 ई.पू. करवाई थी। इसके बाद चौथी बौद्ध संगति कुण्‍डलवन(कश्‍मीर) में - 72 एडी. कनिष्‍क के शासनकाल में करवाई थी, जिसके  अध्‍यक्ष - वासुमित्र और उपाध्‍यक्ष अश्‍वघोष थे।

7. अशोक ने अभिलेख लिखने की सीख इरान के शासक "डेरियस" से ली थी जो हकमनी वंश का शासक था।

8. अशोक द्वारा नेपाल में देवपतन और श्रीनगर नामक शहर की स्‍थापना की गई थी।

9. अशोक ने "भारत" में जीतने भी अभिलेख या शिलालेख लिखवाए है वे सभी ब्राह्मी लिपि में है। इसके अलावा "पाकिस्‍तान" में खरोस्‍टी लिपि, "अफगानिस्‍तान" में अरमाइट लिपि और "ग्रीक" में ग्रीक लिपि में लिखवाए थे।


अभिलेखोंं की पहचान -

1. पत्‍थरों पर लिखने को - अभिलेख

2. छोटे पत्‍थरों पर लिखने को - शिलालेख

3. पिलर पर लिखने को - स्‍तम्‍भ लेख

4. दिवार पर लिखने को - भिति लेख

5. गुफा में लिखने को - गुफा लेख कहते हैं। 

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