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सम्राट अशोक के महत्वपूर्ण अभिलेख -
वह अभिलेख जिनमें अशोक के नाम मिले -
1. मध्यप्रदेश - गुर्जरा
2. कर्नाटक - मास्की, नेत्तूर, उदयगोलान।
इन अभिलेखों में अशोक के नाम का जिक्र किया गया है।
3. भाब्रू अभिलेख - इस अभिलेख में अशोक ने अपना नाम "मगध सम्राट देवनाम प्रियदर्शी" बताया है।
Samra Ashok ke Abhilekha |
7 लघु अभिलेख -
1. रूमनदेय अभिलेख - अशोक का "सबसे छोटा अभिलेख"(Ashok Ka sabse Chota abhilekh) रूमनदेय अभिलेख है जो नेपाल के "लूमनी" में स्थित है। जिसमें अर्थव्यवस्था की चर्चा की गई।
2. टोपरा अभिलेख - यह हरियाणा यमुना नगर जिले में स्थित है।
इन दोनों अभिलेखों को "फिरोजशाह तुगलक" द्वारा दिल्ली लाया गया था। फिरोजशाह तुगलक को सल्तनत काल का अकबर भी कहा जाता है।
3. मेरठ स्तम्भ अभिलेख - उत्तरप्रदेश में स्थित है।
4. कोसाम्बी अभिलेख - यह अभिलेख उत्तरप्रदेश में स्थित है, जिसमें अशोक ने अपनी सबसे प्रिय पत्नी "कौरूवाकी" के बारे में बताया है जो गरीबों में सबसे ज्यादा दान देती थी। इस अभिलेख को बाद में "अकबर ने अपने शासनकाल में कोसाम्बी से उठवा कर प्रयागराज(इलाहाबाद) में रखवाया था।
5. रामपूर्वा अभिलेख, 6. लोरिया एरिराज और लोरिया नन्दनगढ़ अभिलेख - यह तीनों अभिलेख बिहार के चम्पारण में स्थित है। इनमें से लोरिया नन्दनगढ़ अभिलेख पर मोर के चित्र बने हुए हैं।
7. सरेकुना अभिलेख - अशोक का एक मात्र ऐसा अभिलेख है जिसे ग्रीक और अरमाइट दो भाषाओं में लिखा गया है। जो अफगानिस्तान के कंधार से मिला है।
14 बड़े अभिलेख (चर्तुदस शिलालेख) -
1. अहिंसा - पहले शिलालेख में अशोक ने पशु बलि पर रोक लगाई और अहिंसा को बढ़ावा दिया था कि कोई भी व्यक्ति हिंसा नहीं करेगा।
2. चिकित्सा - दूसरे शिलालेख में अशोक ने पशु चिकित्सा और दक्षिण भारत के चार राज वंश चेर, चोल, पांड, सतियपुत्र का जीक्र किया है।
3. तीन अधिकारी - तीसरे अभिलेख में अशोक ने अपने दरबार में तीन अधिकारी राजुक, युक्तक, और प्रदेशक को नियुक्त किया है जिनका कार्य यह था कि वे हर पाँच वर्ष में साम्राज्य का भ्रमण करेंगे और यह पता करेंगे कि प्रदेश में क्या हो रहा है और प्रदेशवासियों को किस वस्तु की कमी है। उन्हें कौन-कौन सी दिक्कते हो रही है। इसमें सबसे मुख्य अधिकारी राजूक था जिन्हें इन सारी खबरों की रिपोर्ट देनी होती थी।
4. भेरी घोष - भेरी घोष का अर्थ होता है "युद्ध की नीति" जिसे छोड़कर अशोक ने "धम्यघोष" की नीति को अपना लिया था, जिसका अर्थ होता था धर्म की राह पर चलना या धर्म की नीति को अपनाना।
5. धम्य महामात्र - अशोक ने यह पता करने के लिए धर्म का सही ढंग से पालन हो रहा है या नहीं और जो लोग धर्म का पालन नहीं कर रहे हैं उन्हें प्रेरित करने के लिए एक अधिकारी की नियुक्ति की थी जिसे "धम्यमहामात्र" कहा जाता था।
6. जनकल्याण - इस शिलालेख में अशोक ने यह लिखवाया था कि जनकल्याण के मामले में वार्तालाप करने के लिए मेरे अधिकारी राजुक, युक्तक और प्रदेशक किसी भी समय मुझसे बात कर सकते हैं।
7. समन्वय - यह अभिलेख अशोक का "सबसे बड़ा अभिलेख" था, जिससे यह पता चलता है कि अशोक सभी धर्मों के प्रति सहिष्णु था। इस अभिलेख में उसने लिखवाया था कि सभी धर्म के लोग मिलजुलकर रहेंगे। इसमें अशोक ने लोगों को समझाया था कि अगर आप दूसरों के धर्म की इज्जत नहीं करोंगे तो बदले में आप भी यह आशा मत रखियेगा कि सामने वाला आपके धर्म इज्जत करेगा। इसलिए सभी मिलजुलकर रहिए।
8. धम्य यात्रा - अशोक ने अपने राज्याभिषेक के 8वें वर्ष कलिंग युद्ध के बाद से ही धर्म यात्रा शुरू कर दी थी, जिसमें से 2 प्रमुख यात्राएँ मानी जाती है -
"गया" जो बिहार के बौद्धगया में स्थित है और दूसरी "लूम्बनी" । यह दोनों यात्राएँ महात्मा बुद्ध से सम्बन्धित है, जिनमें "गया" की यात्रा भम्रण राज्याभिषेक के 10वें वर्ष 259 ई.पू. में की थी जबकि "लूम्बनी" की यात्रा 20वें वर्ष 249 ई.पू. की थी।
9. त्यौहारों पर प्रतिबंध - अशोक ने इस शिलालेख में यह लिखवाया था कि छोटे त्यौहारों पर पैसे ज्यादा खर्च होते हैं, इसलिए उन्होंने छोटे त्यौहारों पर रोक लगा दी थी।
10. धम्य का महत्व - इस शिलालेख में अशोक ने बड़े त्यौहारों को मनाने पर जोर दिया है जिसमें विजया दशमी शामिल थी।
11. ब्राह्मणों को न सताए - इस शिलालेख में अशोक ने बताया है कि मेरे किसी भी अधिकारी द्वारा ब्राह्मणों को नहीं सताया जाएगा।
12. स्त्री महामात्र - इस अभिलेख में अशोक ने स्त्रियों की स्थिति में सुधार लाने के लिए "स्त्री महामात्र" नामक अधिकारी की नियुक्ति की थी।
13. कलिंग युद्ध की जानकारी - इस शिलालेख में अशोक ने कलिंग के बारे में अच्छी-अच्छी बातों का वर्णन किया है जिसमें उसने बताया है कि मैंने कलिंग वासियों के लिए एक राजूक नामक अधिकारी की नियुक्ति की है जो लोगों को अच्छे कामों पर पुरस्कार देगा और बूरे कामों पर दण्ड।
14. लिखावट की त्रुटि - चौदहवे अभिलेख में अशोक ने यह लिखवाया है कि मेरे द्वारा जो भी अभिलेख या
शिलालेख लिखवाए गए है उनमें जो कुछ भी छुटा या लिखावट में त्रुटि हुई है वह सब
लिखने वालों की गलती है इसमें मेरा कोई दोष नहीं है।
अभिलेख पढ़ने की सफलता सर्वप्रथम किसको मिली?
अशोक के अभिलेख पढ़ने की सफलता सर्वप्रथम "जेम्स प्रिंसेस" को 1837 ई. में मिली थी।
अशोक ने अभिलेख लिखने की सिख किससे ली थी?
अशोक ने अभिलेख लिखने की सीख इरान के शासक "डेरियस" से ली थी जो हकमनी वंश का शासक था।
अशोक द्वारा अभिलेख लिखने में प्रयोग की गई लिपियाँँ:
अशोक ने भारत में जीतने भी अभिलेख या शिलालेख लिखवाए है वे सभी "ब्राह्मी लिपि" में है और पाकिस्तान में "खरोस्टी लिपि" तथा अफगानिस्तान में "अरमाइट लिपि" इसके अलावा ग्रीक में "ग्रीक लिपि" में लिखवाए थे।
4. सरेकुना अभिलेख - अशोक का एक मात्र ऐसा अभिलेख है जिसे "ग्रीक और अरमाइट" दो भाषाओं में लिखा गया है। जो अफगानिस्तान के गांधार से मिला है।
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