Balaji : भूतों के काल मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के अविश्वसनीय चमत्कार और कारनामे...?

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मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कहाँँ पर स्थित है :

बालाजी मंदिर, राजस्थान के दौसा जिले में मेहंदीपुर नामक स्थान पर दो पहाड़ियों के बीच स्थित है। इसलिए इस मंदिर को घाटे पहाड़ों वाले बाबा के नाम से भी जाना जाता है। यहाँँ पर सुबह और शाम की आरती के वक्त कथित तौर पर भूतप्रेत से पीड़ित लोगें को जूझते हुए देखा जा सकता है।

यह मंदिर और इससे जुड़े चमत्कार की कहानी आपको आश्चर्य में डाल देगी। इस मंदिर को दुष्ट आत्माओं से छुटकारा दिलाने के लिए दिव्य शक्ति से प्रेरित हनुमानजी का बहुत ही शक्तिशाली मंदिर माना जाता है।

इस मंदिर में बजरंग बली जी की एक बालस्वरूप मूर्ति विराजमान है, जिसके सीने में बाईं तरफ एक अत्यन्त सूक्ष्म छिद्र है, जिससे पवित्र जल धारा निरन्तर बहती रहती है। यह जल बालाजी के चरणों तले स्थित एक कुण्ड में एकत्रित होता रहता है, जिसे भक्तजन चरणामृत के रूप में ग्रहण करते हैं। 

बालाजी मंदिर कितना पुराना है :

इस मंदिर में स्थित मूर्ति लगभग 1000 वर्ष पुरानी बताई जाती है, परन्तु मंदिर का निर्माण पिछली सदी में ही हुआ है। कहा जाता है कि मंदिर में स्थापित बालाजी की यह दिव्य मूर्ति किसी मूर्तिकार द्वारा तैयार नहीं की गई है, बल्कि अपने आप जमीन में से प्रकट हुई है।


Mehandipur Balaji Mandir
Mehandipur Balaji Mandir


बालाजी मंदिर की कहानी और स्थापना कैसे हुई ? 

एक समय की बात है जब श्री महंत महाराज के पूर्वज अपने घर पर रात के समय सौ रहे थे, तभी उन्हें एक सपना आता है, जिसमें वे महसूस करते हैं कि वे उठकर सपने में ही जंगल की ओर जा रहे हैं और चलते-चलते एक घन्ने जंगल के बीचों-बीच पहुँच गए हैं।

जहाँँ पर वे देखते हैं कि हजारों दीपक जलते हुए उनकी ओर आ रहे हैं और साथ ही हाथी और घोड़ों की आवाजें भी आ रही है, लेकिन जब आसपास देखा तो उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दिया।

लेकिन जब वे होश में आते हैं तो देखते हैं कि वे सच में जंगल एक घन्ने जंगल में खड़े थे, किन्तु उन्हें वहाँँपर आसपास कुछ भी दिखाई नहीं दिया। जिसके बाद वे पुन: जाकर बिस्तर पर लेट जाते हैं और सोने का प्रयास करते हैं, परन्तु उन्हें निंद नहीं आती है और बार-बार मन में वही विचार चलता रहता है।

कुछ देर बाद जब उनकी आँँख लगती है तो फिर से वहीं सपना उनकी आँँखों में दिखाई देता है। दिपक जलते आते हैं और दूर से कहीं घोड़ों तथा हाथियों की आवाजें सुनाई देती है और साथ ही इस बार उन्हें 3 मूर्तियाँँ भी दिखाई देती है।

जिनमें बालाजी महाराज, प्रेतराज सरकार और श्री भैरों बाबाजी की मूर्तियाँँ दिखाई देती है और इन मूर्तियों से आवाज़ आती है कि कलयुग में पाप और बुरी शक्तियाँँ बहुत बढ़ गई है, हम उन्हें समाप्त करने आए हैं।  

आप हमारी यहाँँ पर स्थापना करो। हम सभी के दु:खों का निराकरण करेंगे। ऐसी आवाजें उन मूर्तियों से आ रही थी, लेकिन आस-पास कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था। गोसाई जी ने इस बात को भी सपना समझकर कोई ध्यान नहीं दिया।

आखिर में कुछ दिन बित जाने के पश्चात् स्वयं बालाजी महाराज उनको दर्शंन देते हैं और उनसे मंदिर की स्थापना कर पूजा करने का आग्रह करते हैं।

जब जाकर गोसाई जी को इस बात का भरोसा हुआ और उन्होंने जाकर यह बात आस-पास के गांव वालों को बताई तो सभी ने गोसाई जी महाराज की बातों पर विश्वास किया और उनकी मदद करने के लिए तैयार हो गए।

दूसरे ही दिन गोसाई जी महाराज सभी गांव वालों को लेकर उस स्थान पर पहुँच गए, जहाँँपर वे सपने में आए थे। सभी ने घन्ने जंगल की झाड़ियों को हटाकर वहाँँ पर साफ-सफाई शुरू की और एक छोटे से मंदिर का निर्माण कर दिया तथा उसकी पुजा अर्चना शुरू कर दी।

कहा यह भी जाता है कि उस समय एक राजा हुआ करते थे, जिनको जब गोसाई जी ने यह बात बताई तो राजा ने उस जगह पर जाकर देखा, परन्तु इस बात पर उन्होंने विश्वास नहीं किया। तभी वे मूर्तियाँँ अचानक जमीन में समा गई।

तब जाकर राजा को विश्वास हुआ और राजा ने अपने सैनिकों की मदद से उन मूर्तियों को खोदकर निकालने की पूरी कोशिश की, परन्तु मूर्तियाँँ नहीं मिली, तभी राजा ने माफी मांगी और कहा कि हमें माफ कर दो प्रभु हमसे मुर्खता हो गई।

अब हम ऐसी कोई गलती नहीं दौहराएंगे, तभी मूर्तियाँँ वापस प्रकट होती हैं और उसके बाद राजा वहाँँ पर एक बड़ा मंदिर बनवातााहै और गोसाई जी महाराज को वहाँँ की पूजा करने का कार्य सौंप देता है।

इस मंदिर में बालाजी के साथ-साथ प्रेतराज सरकार और भैरों महाराज भी विराजमान है। भैरों महाराज को कप्तान कहा जाता है, वहीं प्रेतराज सरकार बुरी आत्माओं को दंड देने का काम करते हैं। इस मंदिर को दुष्ट आत्माओं से छुटकारा दिलाने के लिए दिव्य शक्ति से प्रेरित हनुमानजी का बहुत ही शक्तिशाली मंदिर माना जाता है।

बालाजी मंदिर में भूत-प्रेत का पता कैसे चलता है :

बालाजी मंदिर की खासियत यह है कि यहाँँ बालाजी को लड़डू, प्रेतराज को पक्के हुए चावल और भैरों जी को उड़द का प्रसाद चढ़ाया जाता है। कहा जाता है कि बालाजी के प्रसाद के दो लड़डू खाते ही भूत-प्रेत से पीड़ित व्यक्ति के अंदर मौजूद काली शक्तियाँँ भूत-प्रेत आदि बाहर आ जाते हैं और अजीब सी हरकतें करने लगते हैं।

जैसे - जमीन पर गोते लगाना और लेटना, साँँप की तरह रेंगना, कपड़ें फाड़ना और नाचना आदि हरकतें करते हैं। 

ये लोग मंदिर के सामने ऐसे चिल्ला-चिल्ला के अपने अन्दर बैठी बुरी आत्माओं के बारे में बताते हैं, मानों जैसे एक नेता वोट लेने के लिए मंच पर चढ़कर अपनी पार्टी के बारे में झूठी बातें बताता है और वादे करता है तथा चुनाव जीतते ही वह सब कुछ भूल जाता है कि उसने कोई वादा भी किया था।

कुछ ऐसा ही इनके साथ भी होता है। जब ये अपने किरदार से बाहर आते हैं और हम इनसे पूछते हैं कि तुम ये क्या बोल रहे थे तो इसके बारे में इनको कुछ पता ही नहीं होता है। जब तक हम इनको रिकॉर्ड करके सबूत न बताएँँ ये मानते ही नहीं है कि हमने कुछ बोला भी था।

श्री बालाजी में रखी जाने वाली सावधानियाँँ :

बालाजी मंदिर में चढ़ाएँँ जाने वाले प्रसाद को दर्खावस्त और अर्जी कहा जाता है। दर्खावस्त का नियम यह है कि इसका प्रसाद चढ़ाने के, तुरन्त बाद वहाँँ से निकलना होता है। जबकि अर्जी का प्रसाद लेते समय उसे पीछे की ओर फेंकना होता है। इस प्रक्रिया में प्रसाद फैंकते समय पीछे की ओर नहीं देखना चाहिए।

आमतौर पर मंदिरों में भगवान के दर्शन करने के बाद लोग प्रसाद को घर लेकर आते हैंं, लेकिन मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में ऐसा नहीं है। यहाँँ पर दिए गए प्रसाद को यही पर खाकर खत्म करना पड़ता है। इस प्रसाद को आप घर पर नहीं ले जा सकते हैं।

खासतौर से जो लोग बुरी आत्माओं या काली शक्तियों से ग्रसित होते हैं, उन्हें और उनके परिवार वालों को कोई भी मीठी वस्तु या प्रसाद अपने साथ घर नहीं लाना चाहिए।

क्योंकि इस मंदिर की यह मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इन कड़े नियमों के बावजूद अपने साथ मीठी या सुगंधित वस्तुएँँ ले जाते हैं।

उसके ऊपर भूत-प्रेत और काली शक्तियों का साया मंडराने लगता है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि सुगंधित और मीठी चीजों से नकारात्मक शक्तियाँँ ज्यादा आकर्षित होती है।

बालाजी मंदिर की महा आरती का लुफ्त कैसे उठाए ?

यहाँँ पर हर मंगलवार और शनिवार को महाआरती होती है। अगर आप महा आरती में शामिल होना चाहते हैं और करीब से महा आरती का लुफ्त उठाना चाहते हैं तो आप मंगलवार और शनिवार को यहाँँ पर मत जाईए, क्योंकि इन दोनों दिन भक्तों की काफी भीड़ रहती हैं।

आप यहाँँ पर रविवार को भी मत जाना, क्योंकि रविवार को छुट्टी का दिन होता है जिसके कारण लोकल के बहुत सारे लोग यहाँँ पर घुमने आते हैं तो उनकी वजह से भी यहाँँ पर काफी भीड़ हो जाती है।

इसलिए आप अपने हिसाब से इन तीनों दिनों को छोड़कर अन्य कोई भी दिन चुन सकते हैं और करीब से महा आरती का लुफ्त उठा सकते हो।

क्या श्री बालाजी मंदिर एक पर्यटक स्थल भी है?            

बालाजी मंदिर के बारे में अगर आप ऐसा सोच रहे हैं कि वहाँँ पर तो सिर्फ वे लोग ही जा सकते हैं, जिन पर भूत-प्रेत या काली शक्तियों का सांया हो तो आप बिल्कुल गलत सोच रहे हैं, क्योंंकि श्री बालाजी महाराज से हर साल हजारों की संख्या में लोग सिर्फ घुमने के लिए आते हैं उन्हें न तो कोई कष्ट होता है और न ही उनके ऊपर कोई काली शक्ति का छाया।

वे सिर्फ यहाँँ पर घुमने के लिए और अपनी संस्कृति को जानने के लिए आते हैं। श्री बालाजी मंदिर आकर आप यहाँँ दो पहाड़ों के बीच बने मंदिर की संस्कृति, मंदिर की परम्परा, मंदिर की विचित्र बनावट और आस-पास फैली पहाड़ की वादियों का भी लुफ्त उठा सकते हो।

बालाजी मंदिर जाने से पहले कौन से नियमों का पालन करना होता है ? 

  • मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाने से कम से कम एक सप्ताह पहले आपको लहसुर, प्याज, अण्डा, मांस और शराब आदि का सेवन बन्द करना होता है।
  • बालाजी पहुँचकर सबसे पहले आप जहाँँ पर रूके हुए हो, वहाँँ से आपको स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनकर ही मंदिर में प्रवेश करना चाहिए।
  • मंदिर में पहुँचते ही आपको सबसे पहले दर्खावस्त लगानी होती है। दर्खावस्त लगाने के लिए एक छोटे से दोने में बूँदी के बहुत ही छोटे-छोटे छ: लड्डू साथ ही कुछ बताशे और एक दीपक लेकर मंदिर के पुजारी को देना होता है, जिसके बाद पुजारी पुजा करके प्रसादी हमें वापस दे देता है।
  • आप जब भी बालाजी मंदिर जाओं तो आपको सुबह और शाम की आरती में शामिल होकर आरती के छींटे अवश्य लेने चाहिए। जिससे आपको रोग निवारण और ऊपरी चक्कर में काफी मंदद मिलेगी।                                     

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