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राणा सांगा द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध :
खातौली और बाड़ी का युद्ध 1517-1518 ई. :
जिस समय राणा सांगा मेवाड़ के शासक बने थे उस समय दिल्ली का शासक सिकंदर लोदी था, जिसकी मृृृृत्यु 1517 ई. में हो गई थी, जिसने कभी भी मेवाड़ के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया और न कभी उन पर आक्रमण किया था। लेकिन जैसे ही उनकी मृत्यु के बाद उनका बेटा इब्राहिम लोदी सुल्तान बना। उसके अन्दर अपने साम्राज्य की सीमाओं को बढ़ाने का लालच आ गया और उसने शासक बनने के कुछ ही महिनों के अन्दर मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया। उस समय मेवाड़ का शासक राणा सांगा था।
1517 ई. में पहला युद्ध खातौली नामक स्थान पर हुआ जो कि उस समय बूँदी रियासत का हिस्सा था। इस युद्ध में इब्राहिम लोदी की बुरी तरह से हार होती है और इसके साथ ही उसके बेटे को भी बंदी बना लिया जाता है।
जिससे इब्राहिम लोदी की बड़ी बेईजती होती हैं, जिसका बदला लेने के लिए 1518 ई. में वह पुन: मेवाड़ पर आक्रमण करता है। यह युद्ध धौलपुर में बाड़ी नामक स्थान पर लड़ा जाता है। इस युद्ध में भी इब्राहिम लोदी की हार होती है।
1517 ई. में पहला युद्ध खातौली नामक स्थान पर हुआ जो कि उस समय बूँदी रियासत का हिस्सा था। इस युद्ध में इब्राहिम लोदी की बुरी तरह से हार होती है और इसके साथ ही उसके बेटे को भी बंदी बना लिया जाता है।
जिससे इब्राहिम लोदी की बड़ी बेईजती होती हैं, जिसका बदला लेने के लिए 1518 ई. में वह पुन: मेवाड़ पर आक्रमण करता है। यह युद्ध धौलपुर में बाड़ी नामक स्थान पर लड़ा जाता है। इस युद्ध में भी इब्राहिम लोदी की हार होती है।
Rana sanga ke yuddha |
मांडू का युद्ध :
मांडू का शासक महमूद खिलजी द्वितीय था, जिसका मुख्य सेनापति मेदनी राय था। मेदिनी राय एक हिन्दू सामंत थे। जिन्होंने अफगान शासक सुल्तान महमूद खिलजी के साथ संघर्ष कर उसे पुन: शासन पर बैठाया था। इस कारण सुल्तान महमूद खिलजी उससे बहुत प्रभावित होते हैं और उसे अपना प्रधानमंत्री नियुक्त कर देते हैं।
मेदिनी राय का प्रधानमंत्री बनना, वहाँँ के कुछ मुस्लिम दरबारी और जनता को पसंद नहीं आता है। इसलिए वे इन दोनों को अलग करने के लिए, खिलजी को मेेदिनी राय के खिलाफ भड़काना शुरू कर कर देते हैं, जिससे महमूद खिलजी उनकी बातों में आ जाता है और वह मेदनी राय की हत्या करवाने का आदेश दे देता है।
लेकिन जब मेदिनी राय को इस बात का पता चलता है तब वह भागकर मेवाड़ राणा सांगा की शरण में चले जाते हैं। जहाँँ पर राणा सांगा उन्हें न केवल शरण देते हैं, बल्कि शासन करने के लिए अपनी दो रियासतें गागरोन और चंदेरी भी देे दी।
जब इस बात का पता महमूद खिलजी को चलता है तो वह मेदिनी राय पर आक्रमण करने के लिए तैयारियाँँ करने लगता है और युद्ध करने के लिए गागरोन की ओर रवाना हो जाता है। जब इस बात का पता राणा सांगा को लगता है तो वे भी अपनी विशाल सेना लेकर गागरोन पहुँच जाते हैं।
इस युद्ध में एक ओर मेदिनीराय और राणा सांगा थे, वहीं दूसरी ओर महमूद खिलजी और उसका पुत्र आसफ खाँँ शामिल थे। यह युद्ध ज्यादा देर तक नहीं चल पाता है, क्योंकि महमूद खिलजी, मेदिनी राय की कुटनीति और राणा सांगा की वीरता के सामने ज्यादा समय नहीं टिक पाते हैं और उन्हें पराजय का सामना करना पड़ता।
साथ ही इस युद्ध में खिलजी के पुत्र आसफ खाँँ भी मृत्युु हो जाती है तथा वह स्वयं भी घायल हो जाता है, जिसके बाद उसे बंदी बना लिया जाता है और चित्तौड़ के बंदी गृह में कैद कर दिया जाता है, परन्तु 3-4 महिने की कैद के बाद राणा सांगा नरम दिल दिखाते हुए, महमूद खिलजी को फिर कभी आक्रमण न करने की सलाह देकर छोड़ देता है।
जिसके बाद कभी भी महमूद खिलजी राणा सांगा के किसी भी सामंत पर आक्रमण नहीं करता है।
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