रूद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर का 800 साल पुरान इतिहास -
तेलंगाना के रुद्रेश्वर मंदिर, जिसे रामप्पा मंदिर भी कहा जाता है, को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल का टैग दिया गया है। रविवार 25 जुलाई को यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 44वें सत्र में यह फैसला लिया गया है कि रामप्पा मंदिर, एक 13 वीं शताब्दी का इंजीनियरिंग चमत्कार है।
जिसका नाम इसके वास्तुकार - रामप्पा के नाम पर रखा गया था। इस रूद्रेश्वर मंदिर को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 के लिए यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल टैग के
लिए एकमात्र नामांकन के रूप में प्रस्तावित किया गया था।
तेलंगाना में स्थित काकतीय रूद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर को यूनेस्को द्वारा अभी विश्व धरोहर स्थल के रूप में अंकित किया है। ब्रावो यूनेस्को के ट्वीट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, प्रधान मंत्री जी ने कहा सभी को बधाई, विशेष रूप से तेलंगाना के लोगों को।
प्रतिष्ठित रामप्पा मंदिर महान काकतीय वंश के उत्कृष्ट शिल्प कौशल को
प्रदर्शित करता है। मैं आप सभी से इस राजसी मंदिर परिसर की यात्रा करने का आग्रह
करता हूँ कि आप इसकी भव्यता और सुन्दरता
को करीब से देखकर रामलिंगेश्वर स्वामी
के दर्शन का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करें।
Ramappa Temple nakasi |
यहां के पीठासीन देवता रामलिंगेश्वर स्वामी हैं। रामप्पा मूर्तिकार के 40 साल तक मंदिर में कार्यरत् होने के कारण इस मंदिर को रामप्पा मंदिर नाम से भी प्रसिद्धी प्राप्त है।
Ramappa Temple History in hindi :
काकतीयों के मंदिर परिसरों की एक विशिष्ट शैली, तकनीक और सजावट है जो काकतीय मूर्तिकार के प्रभाव को प्रदर्शित करती है। रामप्पा मंदिर इसकी एक अभिव्यक्ति है और अक्सर काकतीय रचनात्मक प्रतिभा के लिए एक प्रशंसापत्र के रूप में खड़ा होता है।
रामप्पा मंदिर 6 फीट ऊंचे तारे के आकार के
मंच पर खड़ा है, जिसमें दीवारों, खंभों और छतों को जटिल और
बहुत ही सुन्दर नक्काशी से सजाया गया है जो काकतीय मूर्तिकारों के अद्भूत कौशल और
बुद्धिमता को दर्शाता है।
800 साल पुराने इस मंदिर की मजबूती का रहस्य यहाँँ के पत्थरों को बताया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यहाँँ के पत्थरों का जब वजन टेस्ट किया गया था तो उनका वजन नॉर्मल पत्थरों से बहुत कम था जो पानी पर भी तैर सकते थे। शायद यही कारण है कि यह मंदिर इतने सालों के बाद भी इतनी मजबूती के साथ खड़ा़ है।Ramappa Temple History
यह एक ऐसा मंदिर है, जिसका नाम किसी भगवान के नाम पर नहीं बल्कि इसे बनाने वाले शिल्पकार के नाम पर "रामप्पा" रखा गया है।
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