Table of Contant:
- गौतम बुद्ध के इतिहास की सामान्य जानकारी:
- गौतम बुद्ध को दिखाई देने वाले चार दृश्य:
- गृह त्याग:
- गौतम बुद्ध के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
- बुद्ध द्वारा दिए गए उपदेश एवं उनकी भाषाएँ:
- बुद्ध के नाम एवं उनके अर्थ:
- गौतम बुद्ध के प्रमुख प्रतीक चिन्ह:
- बौद्ध धर्म के पतन का कारण:
- व्रजयान:
- त्रिपिटक का अर्थ क्या होता है?
- हीनयान एवं महायान:
गौतम बुद्ध के इतिहास की सामान्य जानकारी:
गौतम बुद्ध को दिखाई देने वाले चार दृश्य -
2. बीमार व्यक्ति - उन्होंने दूसरा व्यक्ति देखा जो बिमार था और काफी कष्ट में था जो अपने जीवन को और बेहतर बनाने के लिए काफी संघर्ष कर रहा था।
3. मृत व्यक्ति - तीसरे दृश्य में उन्होंने यह एहसास किया कि हम अपने जीवन में कितना भी धन-दौलन और मान-सम्मान कमा ले, परन्तु आखरी में सबको जाना तो इसी मार्ग पर है।
4. सन्यासी - चौथे दृश्य में उन्हें एक सन्यासी दिखा जो काफी खुश था और अपने ही रंग में कुछ गुनगुनाते हुए जा रहा था। जो दुनिया के मोह से बिल्कुल परे था। इस दृश्य को देखकर गौतम बुद्ध ने सोचा कि अगर हमें सारे दु:खों से मुक्त होना है तो यह रास्ता उत्तम है।
गौतम बुद्ध का गृह त्याग:
जिसके बाद गौतम बुद्ध चुपके से रात के समय सबके सोने के बाद घर से अपने सारथी "चन्ना" के साथ घोड़े पर बैठकर जंगल की ओर निकल जाते हैं। गृह त्याग की इस घटना को बौद्ध धर्म में "महाभिनिष्क्रमण" कहा जाता है।
इस घटना के बाद गौतम बुद्ध ज्ञान की प्राप्ति के लिए घुमने लगे और वज्जि संघ महाजनपद की राजधानी वैशाली में अपने प्रथम गुरू "अलार कलाम" से मिलते हैं और उनसे शिक्षा प्रापत करते हैं।
किन्तु उन्हें वहाँ पर ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती है। जिसके बाद वे अपने द्वितीय गुरू "रूद्रक रामपुत्त" से मिलते हैं उनसे भी कुछ विद्या प्राप्त करते हैं, परन्तु उन्हें वहाँ पर भी ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती है।
इस कारण वे वहाँ से निकलकर बिहार के "बौद्धगया" क्षेत्र में पहुँच जाते हैं जहाँ पर 45 दिनों तक "पिपल वृक्ष या बोद्धी वृृृक्ष" के कठोर तपस्या करते हैं जिसके बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है। बौद्ध धर्म में ज्ञान की प्राप्ति को "बुद्धत्व" कहा गया है।
गौतम बुद्ध के बारे में कुछ रोचक तथ्य :
गौतम बुद्ध के बारे में कहा जाता है कि इन्हें ज्ञान की प्राप्ति और इनका जन्म तथा मृत्यु तीनों कार्य एक ही दिन "वैशाख पूर्णिमा" के दिन हुए थे।
गौतम बुद्ध ने गृह त्याग २९ वर्ष की आयु में किया था जबकि उन्हें ज्ञान की प्राप्ति ६ वर्ष पश्चात् ३५ वर्ष की उम्र में हुई थी और गौतम बुद्ध के बारेे में एक तथ्य यह भी है कि इन्हें जिस वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी उस वृक्ष को गोंंड़ वंश के शासक "शशांक" ने कटवाया दिया था।
गौतम बुद्ध द्वारा दिए गए उपदेश एवं उनकी भाषाएँ :-
ज्ञान प्राप्ति के पश्चात् गौतम बुद्ध ने सबसे पहले अपने पाँँच शिष्य बनाए, जिनमें उनका सबसे प्रिय शिष्य "आनन्द" था।
जिसके बाद गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश "सारनाथ" में दिया, जिसके बाद उनके कई शिष्य बन गए थे जिनके माध्यम से उन्होंने कई जगहों पर घूम-घूम कर उपदेश दिए और अपने धर्म का प्रचार किया।
जिसमें सबसे ज्यादा उपदेश उन्होंने "कौशल की राजधानी श्रावस्ती" में दिए थे। जिसके बाद से ही बौद्ध धर्म उत्तर भारत के अधिकांश भाग में फैल गया था और उस समय का सबसे व्यापक धर्म बन गया था। गौतम बुद्ध ने शुरूआती दौर के उपदेश "पाली भाषा" में दिए थे जबकि बाद के सभी उपदेश "संस्कृत भाषा" में दिए थे।
बुद्ध के नाम और उनके अर्थ -
1. "बुद्ध" - जिसका अर्थ होता है "बुद्धत्व
को प्राप्त करने वाला।"
2. "तथागत" - तथागत का अर्थ होता है "सत्य है ज्ञान जिसका" अर्थात् जिसने
संसार की चक्का चोंद और मोह-माया से ऊपर उठकर खुद की इन्द्रियों पर विजयी प्राप्त कर ली हो तथा जो
किसी भी बन्धन में न बंधा हो, उसे तथागत
कहा जाता है।
इसके अलावा उन्हें (Light of Asia) "एशिया का प्रकाश पुंज" और "शाक्य मुनी" भी कहा जाता है।
गौतम बुद्ध के प्रमुख प्रतीक चिह्न -
जन्म - कमल या सांड
गृह त्याग - घोड़ा
ज्ञान प्राप्ति -
पीपल
निवार्ण - पदचिन्ह(स्तूप)
बौद्धिसत्व की प्राप्ति -
इसका अर्थ होता है ऐसा व्यक्ति जो स्वयं निर्वाण की प्राप्ति कर चुका हो और दूसरों को भी निर्वाण प्राप्त करने में उनकी मदद करता हो।
बौद्ध धर्म के पतन का कारण :-
वज्रयान -
त्रिपिटक का अर्थ क्या होता है?
तीन पुस्तक के संग्रह को त्रिपिटक कहा गया है जिसकी लिखावट "पाली भाषा" में की गई है। इन तीनों पुस्तकों में गौतम बुद्ध ने उपने उपदेश, ज्ञान और नियमों का उल्लेख किया है।
1. सुत्त पिटक - इस पुस्तक में गौतम बुद्ध द्वारा दिए गए सभी उपदेशों को लिखा गया है। ताकि भविष्य में आने वाली पीढ़ी को बुद्ध के उपदेशों का ज्ञान प्राप्त हो सके।
2. विनय पिटक - विनय पिटक में बौद्ध धर्म के अनुयाईयों द्वारा पालन किए जाने वाले नियमों को बताया गया है।
3. अभिधम्म पिटक - इस पुस्तक में गौतम बुद्ध ने अपने उपदेशों और दार्शनिक विचारों का वर्णन किया है।
0 Comments